बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर छायाचित्र और पुष्पांजलि कार्यक्रम का हुआ आयोजन...
वाराणसी / बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर क्षेत्रीय पुरातत्त्व इकाई वाराणसी, लाल बहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय रामनगर वाराणसी ( संस्कृति विभाग) के संयुक्त तत्वावधान में पुष्पांजलि, बौद्ध स्थलों पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी एवं व्याख्यान का आयोजन किया गया। पुष्पांजलि व छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर मुख्य अतिथि डॉ ज्ञान प्रकाश यादव, अपर उप जिलाधिकारी वाराणसी ने किया। इस अवसर पर गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़े प्रमुख स्थलों यथा-लुम्बिनी, कपिलवस्तु, बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर, राजगृह, वैशाली, कौशांबी, श्रावस्ती, सांची, लौरियानन्दनगढ़, लौरियाअरेराज, रामपुरवा के कुल 55 छायाचित्र प्रदर्शित किए गए हैं। यह प्रदर्शनी 31मई तक आम जनता के अवलोकनार्थ खुली रहेगी। कार्यक्रम की अगली कड़ी में " बौद्ध संगितियों की ऐतिहासिकता एवं महत्व" विषय पर डॉ अर्पिता चटर्जी, एसोसिएट प्रोफेसर, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी का व्याख्यान हुआ। डॉ चटर्जी ने अपने व्याख्यान में बौद्ध संगितियों की ऐतिहासिकता, प्रमाणिकता, उनके महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। बौद्ध धर्म एवं दर्शन के विकास व विस्तार में बौद्ध संगितियों का विषेश महत्त्व है। भारत के इतिहास तथा बुद्ध के तिथि निर्धारण में भी संगितियों से विशेष सूचना प्राप्त होती है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ ज्ञान प्रकाश यादव ने भी अपना विचार व्यक्त किया।
कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन क्षेत्रीय पुरातत्त्व अधिकारी वाराणसी डॉ सुभाष चन्द्र यादव तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ हरेंद्र नारायण सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रोफेसर दिनेश कुमार ओझा, डॉ विराग सोनटके, डॉ प्राची कुशवाहा, डॉ स्वतंत्र सिंह, डॉ ज्योति सिंह, डॉ राजेश कनौजिया, डॉ सुजीत कुमार चौबे, डॉ अफजल खान, डॉ रविशंकर बिरेंद्र मौर्य, विनय मौर्य,,शशिभान सिंह, डॉ अवनीश उपाध्याय, विवेक यादव, संध्या, वंदना गुप्ता, प्रशान्त राय, मनोज कुमार, पंचबहादुर, कुमार आनंद पाल, सोहन, संतोष, रविकांत, महेंद्र कुमार लाल आदि बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
रिपोर्ट ओमप्रकाश पटेल