अब इंजेक्शन से भी होगी टीबी मरीजों की जांच,सीवाई टीबी टेस्टिंग का होगा उपयोग

अब इंजेक्शन से भी होगी टीबी मरीजों की जांच,सीवाई टीबी टेस्टिंग का होगा उपयोग

वाराणसी l राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत टीबी के उच्च जोखिम वाले लोगो में चिकित्सालय परिसर में ही टीबी के संक्रमण का पता लगाने के लिए सीवाई टीबी टेस्ट करने के उपरान्त टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) दिया जायेगा| वर्तमान में टीबी के इंसीडेंस रेट में वार्षिक गिरावट 2.5 फीसदी है जिसे बढ़ाकर 10 फीसदी तक किया जाना है| सीवाई टीबी टेस्टिंग का उपयोग सिर्फ चिकित्सालय परिसर में ही किया जायेगा। इसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी|

सीएमओ ने बताया कि चिकित्सालय में आने वाले उच्च जोखिम समूह वाले लोगों जैसे सिलिकोसिस, डायलिसिस, कीमोथेरेपी , एंटी-टीएनएफ उपचार, स्टेरॉइड एवं आर्गन ट्रांसप्लांट, मधुमेह, कुपोषित (<18.5 बीएमआई), धूम्रपान, मदिरापान करने वाले व्यक्तियों में टीबी संक्रमण पहचानने हेतु सीवाई टीबी टेस्ट किया जायेगा| ससमय जाँच होने पर मरीजों का उपचार तत्काल शुरू कर दिया जायेगा| जिससे जनपद को टीबी मुक्त किया जा सकेगा|

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ पीयूष राय ने बताया कि वाराणसी जनपद को सीवाई टीबी की लगभग पंद्रह हजार डोज एलाट की गई है। जिसे शासन के पत्र दिनांक 16 अप्रैल 2025 के निर्देशानुसार उच्च जोखिम वाले समूह के लोगों की जाँच में इस्तेमाल किया जायेगा|

डीटीओ ने बताया कि सीवाई टीबी टेस्ट 0.1 मिली बायें फोर-आर्म पर इंट्राडर्मल लगाया जायेगा तथा 48 से 72 घण्टे के बीच चिकित्सा अधिकारी द्वारा परीक्षण किया जायेगा। इंड्यूरेशन 05 मिमी से कम पाया जाता (ऋणात्मक) है तो उसका निःक्षय पोर्टल पर इनरोलमेंट किया जायेगा, लेकिन ऐसे व्यक्ति को टीपीटी नहीं दिया जायेगा| इंड्यूरेशन 5 मिमी से अधिक पाये जाने पर (धनात्मक) व्यक्ति टीबी से संक्रमित माना जायेगा| उसका निःक्षय पोर्टल में इनरोलमेंट किया जायेगा तथा उस व्यक्ति में एक्टिव टीबी चिकित्सा अधिकारी द्वारा रूलआउट किया जायेगा। एक्टिव टीबी रोग न पाये जाने पर ऐसे व्यक्ति को टीपीटी ( 03 एचपी/06 एच) शत-प्रतिशत दिया जायेगा। टीपीटी के पात्र लाभार्थियों को ट्रीटमेंट सपोर्टर से निःक्षय पोर्टल में लिंक कराकर टीपीटी का कोर्स पूर्ण होने पर ट्रीटमेंट सपोर्टर को रू0 250/- की धनराशि प्रति लाभार्थी के हिसाब से दिया जायेगा| टीबी उन्मूलन में यह टेस्ट कारगर साबित होगा। पूर्वांचल में इस वैक्सीन का प्रयोग पहली बार होगा।