संतान की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा जीवित्पुत्रिका व्रत,सुसुवाही सहित अन्य जगहों पर हुई पूजा
वाराणसी / पुत्र दीर्घायु व्रत जीवित्पुत्रिका या जिउतिया व्रत आज है। माताओं ने अपनी संतान की रक्षा और कुशलता के लिए निर्जला व्रत रखा है। जीवित्पुत्रिका व्रत का नाम पड़ा है। ये सबसे कठिन व्रत में से एक होता है। ये व्रत तीन दिन तक चलता है। पहले दिन नहाए खाए। दूसरे दिन निर्जला व्रत और तीसरे दिन पारण किया जाता है।
महिलाएं पुत्र की लंबी उम्र के लिए जीमूतवाहन की पूजा अर्चना करती है। इस दिन महिलाएं गोबर से मूर्ति बनाई जाती है। सबसे पहले जीमूतवाहन भगवान को धूप, दीप, फूल और अक्षत चढ़ाएं. इस दिन चील और सियार की मूर्ति की भी पूजा की जाती है। इसके बाद व्रत कथा सुनें और बाद में आरती करें। इन दिन पेड़ा, दूब, खड़ चावल, इलायची ,पान, सुपारी चढ़ाया जाता है। महिलाएं जितिया के दिन सरसों के तेल और खली चढ़ाई जाती है। इन चीजों को चढ़ाने से बच्चों को किसी प्रकार की बुरी नजर नहीं लगती
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जीमूतवाहन की पूजा की जाती है और जीवित्पुत्रिका का निर्जला व्रत रखा जाता है।
रिपोर्ट गणेश रावत