दुर्गा पंडालों में खेला गया सिंन्दूर की होली , बंगाली महिलाओं ने उतारी मां की नजर

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वाराणसी । काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्थापित दुर्गा पूजा पंडाल में आज माता के अंतिम विदाई में महिलाओं ने देवी को सिंदूर चढ़ाकर खुशी का इजहार किया। मान्यता है कि दुर्गा पूजा महोत्सव में पांच दिन के लिए देवी अपने परिवार के साथ कैलाश छोड़कर पृथ्वी पर आती है। दशमी पूजा संपन्न होते ही वापस कैलाश चली जाती है। दशमी पूजा समाप्ति के बाद सबसे पहले महिलाओं ने माता के माथे में सिंदूर लगाकर अपने-अपने सुहाग की रक्षा के लिए मन्नतें मांगी। उसके बाद सिंदूर की होली खेली

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महिलाओं ने खेला सिंदूर की होली

 बंगाली समाज द्वारा माता दुर्गा की विदाई से पूर्व 8 दिनों तक विशेष अनुष्ठान के बाद एक विशेष तरह का महिलाओं द्वारा होली खेला जाता है। जिसे सिंदूर की होली कहा जाता है। इसी क्रम में माता को विदाई करने के लिए मधुबन में स्थापित मां दुर्गा की विदाई को लेकर बंगाली समाज की महिलाएं इकट्ठा हुई थी। तथा यहां पर जमकर सिंदूर की होली खेली है। महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाकर शुभकामनाएं दी ।

मां की विदाई से पूर्व मां का पान के पत्तों से नजर उतारा जाता है जिसके बाद मां को मीठा खिलाया जाता है तदोपरान्त मां को सिंदूर लगाने के बाद महिलाएं उसी सिंदूर से होली खेलती हैं।

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मां के दर पर पहुंची सोमिका चट्टोपाध्याय ने बताया कि आज दुर्गा दसवीं है आज मां की विदाई किया जाता है आज सब लोग नजर उतारते हैं प्रसाद चढ़ाते हैं आरती करते हैं । तदोपरान्त मां की विदाई करते हैं। 

कोरोना से मुक्ति की कामना 

 माता दरबार में आई नवनीत ने कहा कि मां से हमने कुछ नहीं मांगा बस यही कामना है कि सभी लोग स्वस्थ रहें। कोरोना के कारण त्यौहार काफी फीका रहा किसी भी प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रम नहीं आयोजित हो सका और जिस तरह से पहले दुर्गा पंडालों में सजावट होती थी और काफी संख्या में भक्त सम्मिलित होते हैं थे वह इस बार नहीं हो पाया।