देऊरा के उन्मत्त भैरव की पूजा से गृहकलह से मिलती मुक्ति...
मयंक कुमार
वाराणसी l काशी में सभी भैरव के मंदिर बने हुए हैं। प्रमुख उन्मत्त भैरव का मंदिर पंचक्रोशी मार्ग के देऊरा गांव में स्थित है। काशी में काल भैरव और बटुक भैरव की पूजा का प्रचलन है।श्रीलिंगपुराण बावन भैरवों का जिक्र मिलता है। पुराणों में मुख्य रूप से आठ भैरव माने गए हैं। असितांग भैरव, रुद्र या रूरू भैरव, चण्ड भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाली भैरव, भीषण भैरव और संहार भैरव। इतिहास के पन्नों में भी दर्ज है 'प्रपञ्च-सार तंत्र' में अष्ट-भैरवों के नाम लिखे हैं। तंत्र शास्त्र में भी इनका उल्लेख मिलता है। इसके अलावा सप्तविंशति रहस्य में सात भैरवों के नाम हैं। इसी ग्रंथ में दस वीर-भैरवों का उल्लेख भी मिलता है। इसी में तीन बटुक-भैरवों का उल्लेख है। रुद्रायमल तंत्र में चौसठ भैरवों के नामों का उल्लेख है।
क्या है महत्व पंचकोशी मार्ग पर स्थित उन्मत्त भैरव मंदिर का
आज हम बात करेंगे काशी के पंचकोशी मार्ग, देऊरा गांव में स्थित उन्मत्त भैरवनाथ का शरीर सिन्धुर रंग का है। तथा वे घोड़े पर सवारी करते हैं। इन भैरव की दिशा पश्चिम है। विशाल दूधिया तालाब से सट्टा हुआ इनका मंदिर है। तलाब पर ही सैकड़ों साल पुराना एक पीपल का विशाल वृक्ष आज भी मौजूद है। इनकी मान्यता है कि यह भैरव शांत स्वभाव के हैं। इनका मंत्र है ॐ भं भं श्री उन्मताये नम:। बिना माला के सवा घंटे मंत्र जाप करें। इनकी पूजा, प्रार्थना या अर्चना करने से व्यक्ति के अंदर के सभी तरह के नकारात्मक विचार या भाव तिरोहित हो जाते हैं और वह सुखी एवं शांतिपूर्वक जीवन यापन करता है। इनकी पूजा करने से नौकरी, प्रमोशन, धन आदि की प्राप्ति होती है और साथ ही घर परिवार में प्रसन्नता का वातावरण निर्मित होता है।लहसुन, प्याज आदि त्यागकर शुद्ध सात्विक रूप से इनकी आराधना करने से ये जल्दी प्रसन्न होते हैं।
क्या कहना है क्षेत्रीय व स्थानीय लोगों का...?
स्थानीय लोगों का कहना है कि देऊरा गाँव के पंचकोशी मार्ग पर स्थित उन्मत्त भैरव की विशेषता है कि उनकी पूजा-अर्चना करने से साधना अर्थात भय से मुक्ति आज के समय में कौन नहीं चाहता कि भय से मुक्ति पाकर निर्विघ्न जीवन जिए पर हमारे ग्रंथ इन साधनों के खजाने हैं। फिर भी लोग तंत्र मंत्र से भय खाते हैं। क्यों...? क्योंकि कुछ लालची लोगों ने इन मंदिरों में स्थापित उन्मत भैरव की मूर्ति को अपना व्यापार बना लिया है। और तरह-तरह के कार्यक्रम करके तथाकथित लोगों द्वारा क्रिया करने वाले पूजा-पाठ के नाम पर सामग्रियों व चंदा का व्यापार करने वाले, मंदिर का उत्थान करने की बजाय अपनी जेब भरने में लगे हैं। मंदिर के नाम पर जगह-जगह से चंदा उतारकर अपने भोग विलास व निजी कार्य में लेते हैं।
मंदिर के नाम पर बंद होगी धन उगाही
गांव के ही युवा समाजसेवी शैलेंद्र पांडे व उनके सहयोगियों द्वारा कहना था कि देऊरा गांव में स्थित हनुमान और उन्मत्त भैरव मंदिर के नाम पर चंदा उतारकर अपने निजी कार्य में लेने वाले तथाकथित लोगों पर अब हम लोग शिकंजा कसने का कार्य करेंगे। जिन भी लोगों द्वारा मंदिर और धर्म के नाम पर चंदा उतार कर अपने निजी कार्य में लिया जाएगा, तो उन तथाकथित लोगों की शिकायत तत्काल वाराणसी जिला अधिकारी से करेंगे। और ऐसे तथाकथित लोगों के ऊपर कार्यवाही करने की मांग करेंगे। इस मौके पर युवा समाजसेवी शैलेंद्र कुमार पांडे, राजकुमार पाल, अमरनाथ राठौर, देवनाथ पटेल, सुनील पटेल, ओम प्रकाश, हृदय नारायण पांडे, छोटे राजभर, रामाशंकर उर्फ बाले राजभर, नंदलाल राजभर के साथ आदि क्षेत्रीय व ग्रामीण लोग मौजूद रहे।