ट्राइकोडर्मा को प्राइमिंग एजेंट के रूप में पहचाना,और पहली बार रिपोर्ट की गेहूँ जैसे फसल पौधों में आनुवंशिक प्राइमिंग खोज...
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वाराणसी l काशी हिन्दू विश्वविद्यालय बाॅटनी विभाग के डाॅ. प्रशांत सिंह उनके पीएचडी छात्रा मेनका तिवारी, परास्नातक छात्र रजत सिंह ने ट्राइकोडर्मा को एक प्राइमिंग एजेंट के रूप में पहचाना और और पहली बार रिपोर्ट की गेहूँ जैसे फसल पौधों में आनुवंशिक प्राइमिंग! इस खोज को उच्च प्रभाव वाली पत्रिकाओं में से एक (q1 ). फ्रंटियर्स इन प्लांट साइंस (1f6.63) में प्रकाशन के लिए स्वीकार किया गया!
सिंह ने कहा कि प्लांट डिफेंस प्राइमिंग एक जानबूझकर, विनियमित और ऑन डिमांड रक्षात्मक रणनीति है क्योंकि पौधे को जानबूझकर तनाव की एक छोटी खुराक के अधीन किया जाता है जो रक्षा प्रतिक्रिया को तभी ट्रिगर करता है जब पौधे पर रोगजनक द्वारा हमला किया जाता है, और यह पौधों में बेकार चयापचय खपत को रोकता है! "डिफेंस प्राइमिंग" की अवधारणा उल्लेखनीय रूप से उसी तरह है जैसे मानव रोगों के लिए टीके विकसित किए जाते हैं! एक रोगजनक की नकल करके एक टीकाकरण काम करता है! यह प्रतिरक्षा प्रणाली को यह विश्वास करने के लिए धोखा देता है कि यह हमले के अधीन है, एंटीबॉडी उत्पादन जैसे रक्षा प्रतिक्रियाओ को ट्रिगर करता है!
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यह एक रक्षात्मक स्मृति स्थापित करता है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली को एक विशिष्ट रोगजनक को वापस बुलाने की अनुमति मिलती है, यदि शरीर फिर से इसके संपर्क में आता है, और वैक्सीन की प्राथमिक स्मृति तब जल्दी और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया कर सकती है! उन्होंने इसे "हरित टीकाकरण कहा!
अजीत पाण्डेय की खास रिपोर्ट वाराणसी से