यह सूर्य ग्रहण धार्मिक मान्यता नहीं होने से सुतक नहीं लगेगा -: ज्योतिष सम्राट पंडित पुरुषोत्तम दुबे
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वाराणसी / नेपाल / सूर्य ग्रहण वास्तव में एक खगोलीय घटना है, जो आज के समय में लगभग हर किसी व्यक्ति के लिए कौतूहल का विषय रहती है। सभी लोग सूर्य ग्रहण को देखना चाहते हैं जबकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह एक अनुकूल और शुभ समय नहीं होता है। कुछ लोग सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से देखते हैं जिसकी वजह से उनकी आंखों की रोशनी जाने की भी संभावना होती है इसलिए आपको इस तरह की गतिविधियों से बचना चाहिए। आज हम आपको 10 जून 2021 गुरुवारको लगने वाले सूर्य ग्रहण के बारे में और उसके प्रभाव के बारे में जानकारी देंगे।
वर्ष 2021 का यह पहला सूर्य ग्रहण होगा।
यह पूर्ण सूर्यग्रहण ना होकर वलयाकार सूर्यग्रहण होगा जिसे रिंग ऑफ फायर (Ring of Fire) के नाम से भी जाना जाता है।
यह सूर्य ग्रहण नेपाल भारत में दिखाई नहीं देगा और इस कारण नेपाल भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।
वलयाकार सूर्य ग्रहण कब और कहां
जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि यह ग्रहण भारतवर्ष में दिखाई नहीं देगा। यह कंकणाकृति सूर्यग्रहण होगा, जो भारतीय समय के अनुसार विक्रम संवत 2078 ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को गुरुवार के दिन दोपहर 1:42 से सायंकाल 6:41 तक प्रभावी रहेगा। यह ग्रहण वृषभ राशि में आकार लेगा।
यह सूर्य ग्रहण खग्रास सूर्यग्रहण होगा जो नेपाल भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन विश्व के अन्य कई क्षेत्रों में दिखाई देगा जिनमें बेलारूस, कनाडा, फिनलैंड, आयरलैंड, आइसलैंड, लातविया, स्लोवाकिया, रूस, मोरक्को, ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, चीन, फ्रांस, ग्रीनलैंड, जर्मनी, किर्गिस्तान, नॉर्वे, नीदरलैंड, पोलैंड, रोमानिया, स्पेन, स्विट्जरलैंड, पुर्तगाल, स्वीडन, तुर्कमेनिस्तान, इंग्लैंड, अमेरिका, यूक्रेन, उज़्बेकिस्तान, आदि क्षेत्र प्रमुख रूप से आते हैं, जहां पर इस ग्रहण को आसानी से देखा जा सकता है।
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148 वर्ष बाद सूर्य ग्रहण के साथ विशेष अद्भुत संयोग
10 जून 2021 का सूर्य ग्रहण एक विशेष संयोग में आ रहा है। इस दिन शनि जयंती अर्थात शनि अमावस्या भी है जो सूर्य देव के पुत्र शनि देव के जन्म का दिन है। इसी के साथ इस दिन वट सावित्री व्रत भी मनाया जाता है जो कि सभी सुहागन स्त्रियों का एक प्रमुख त्योहार है। इस त्यौहार को वह अपने पति की दीर्घायु की कामना से रखती हैं। ग्रहण काल में पूजा पाठ करना निषेध माना जाता है लेकिन भारत वर्ष में यह ग्रहण दृश्यमान ना होने के कारण यहां पर किसी प्रकार का सूतक मान्य नहीं होगा। इस कारण यहां पर पूजा अर्चना विधिवत रूप से की जा सकती है। इस दिन शनि देव की पूजा विशेष रूप से फल दायक रहेगी और शनि देव के साथ ही सूर्य देव का वंदन करना भी विशेष फलदायी रहेगा।
सूर्य ग्रहण के समय ज्योतिषीय स्थिति
10 जून 2021 का सूर्य ग्रहण जिस समय अपना आकार लेगा, उस समय आकाश मंडल में सूर्य देव तो राहु केतु के प्रभाव में होंगे ही लेकिन उनके साथ चंद्रमा और बुध भी उपस्थित होंगे।
इसके अतिरिक्त किसी भी शुभ ग्रह की दृष्टि उन पर नहीं होगी।
शनि और मंगल समसप्तक योग में होंगे, बृहस्पति कुंभ राशि में और शुक्र देव मिथुन राशि में विराजमान रहेंगे।
वृष, मिथुन, सिंह एवम कन्या राशि के लिये कष्टकारी समय फल देगा पर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का 108 बार जपने से कष्ट दूर होगा ।
ग्रहण काल में सूर्य देव मृगशिरा नक्षत्र के प्रथम चरण में स्थित होंगे और उनके साथ चंद्रमा और बुध भी इसी नक्षत्र में स्थित होंगे। यह मंगल के आधिपत्य वाला नक्षत्र है। ग्रहों और नक्षत्रों का यह योग देश और दुनिया पर विभिन्न प्रकार के असर दिखाएगा।