काशी हिंदू विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा आयोजित राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन की 30वी कड़ी में युवाओं ने दिया राष्ट्रीय एकता और अखंडता का संदेश।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय  राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा  आयोजित राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन  की  30वी  कड़ी में युवाओं ने  दिया राष्ट्रीय एकता और अखंडता का संदेश।

वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में "आत्मनिर्भर भारत: जागे युवा -जागे भारत" कार्यक्रम  श्रृंखला में एक भारत श्रेष्ठ भारत  अभियान के तहत  30वाँ ऑनलाइन राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन में  युवा कलाकारों ने  शास्त्रीय गायन  और वादन से राष्ट्रीय एकता, अखंडता, शांति और भाईचारे का संदेश दिया ।

राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन  का  उद्घाटन  मुख्य  अतिथि के रूप में  माधव देव विश्वविद्यालय आसाम के कुलपति प्रोफेसर दिवाकर चंद्र डेका ने  किया ।   अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि   किसी भी राष्ट्र के लिए युवा उसके सजग प्रहरी होते हैं ।  एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के माध्यम से भारत सरकार युवाओं को राष्ट्रीय एकता , अखंडता और शांति के संदेशों से जोड़कर उन्हें राष्ट्र के विकास के कार्यों में लगाने के लिए प्रयत्नशील है और यही समय की मांग भी है ।आज हम जब कोरोना जैसे वैश्विक महामारी के चलते एक राज्य के युवा दूसरे राज्य से नहीं मिल पा रहे हैं, ऐसे में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर राष्ट्रीय एकता और अखंडता को समर्पित ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन से युवाओं में राष्ट्रीय जागरण का कार्य कर रहे हैं ।

विशिष्ट अतिथि के रूप में  भारतीय रेल सेवा के मुख्य अभियंता इंजीनियर सौरव सिंह  ने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के माध्यम से हम अपने सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने में सक्षम हो रहे हैं और साथ ही साथ युवाओं में आत्मविश्वास और आगे बढ़ने हेतु संकल्प का जागरण हो रहा है । उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को भी इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक मौका दिए जाने की बात की।

राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन   की अध्यक्षता  ग्वालियर के विश्व विख्यात कथक नृत्य के प्रोफेसर डॉक्टर भगवान दास मानिक ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन  में  उन्होंने  कहा कि  भारत में गायन , वादन और नृत्य की समृद्ध परंपरा रही है और इस परंपरा को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हमसब की बनती है। आज रोजगार पाने की आपाधापी में हम अपने सांस्कृतिक विरासत को भूलते जा रहे हैं। हमें यह ज्ञात रहना चाहिए कि  संगीत भक्ति मार्ग और योग मार्ग से हमें जोड़ता है और संगीत के द्वारा हम पूर्णता को प्राप्त करते हुए मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं।  उन्होंने युवाओं से भारतीय संगीत के विविध विधाओं से जुड़ने का आह्वान किया।

आत्मनिर्भर भारत जागे युवा जागे देश और एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के आयोजन के विविध पक्षों पर भारत सरकार राष्ट्रीय सेवा योजना के क्षेत्रीय निदेशक डॉ अशोक श्रोति ने  प्रकाश डाला।

राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन  का शुभारंभ  दिल्ली  के  कलाकार श्री  रुद्राक्ष श्रीवास्तव के तबला वादन से हुआ । उन्होंने तबला वादन का शुभारंभ तीन ताल से किया । तत्पश्चात उन्होंने चौदह मात्रा में ताल धमार और अन्य तालों की प्रस्तुति की। 

राष्ट्रीय युवा संगीत  की दूसरी प्रस्तुति के रूप में  फगवाडा, पंजाब  के युवा कलाकार डॉ स्वर्ण लता ने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति की । उन्होंने अपने कार्यक्रम का शुभारंभ मीरा भजन से की। 

राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन  का समापन  जालंधर के युवा कलाकार श्री प्रवीण प्रसाद के कथक नृत्य से हुआ। उन्होंने अपने नृत्य का समापन प्रसिद्ध भजन 'श्री रामचंद्र कृपालु भजमन" पर अपने भाव नृत्य से किया।

राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन में  दिल्ली के विख्यात तबला वादक डॉ मनोज श्रीवास्तव, कत्थक की प्रसिद्ध नृत्यांगना डॉ प्रीति श्रीवास्तव, अरुणोदय विश्वविद्यालय अरुणाचल प्रदेश के  कुलपति  प्रोफेसर बीएन शर्मा , आकाशवाणी पटना के  पूर्व क्षेत्रीय केंद्र निर्देशक  श्री त्रिपुरारी कांत शर्मा , उत्तर प्रदेश  सरकार के  राज्य संपर्क अधिकारी  एवं विशेष कार्याधिकारी डॉ  अंशुमाली शर्मा, राष्ट्रीय संगीत के परिवार के महानिदेशक पंडित देवेंद्र वर्मा , आकाशवाणी दरभंगा  के संगीत के कार्यक्रम अधिशासी डॉ  कुसुमाकर दूबे,पटना विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की अधिकारी डॉ पूनम सिंह,   ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की डॉ लावण्या कीर्ति सिंह काव्या,
कार्यक्रम अधिकारी डॉ मोनिका अरोरा, डॉ एकता चौहान, डॉ रेनू भटनागर, डॉ रीता सिंह,  डॉ सुनीता गुप्ता, डॉ सच्चिदानंद त्रिपाठी  , डॉ  भूपेंद्र कुमार,  डॉ शीला गुप्ता डॉ वंदना झा सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने सहभागिता की।