Krishna Leela:गंगा बनी यमुना,कृष्ण भक्ति में डूबी काशी जानें क्या है परम्परा

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वाराणसी l बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में 450 साल से अधिक पुराने कृष्ण लीला का मंचन हुआ.वाराणसी के तुलसी घाट पर हुए वाले इस 5 मिनट की लीला के लिए हजारों श्रद्धालु इक्कठा हुए.घाटों से लेकर गंगा की गोद तक हर तरफ लोग मौजूद रहे और जय श्री कृष्ण के जयकारों से पूरा इलजा गूंज उठा. काशी नरेश भी इस विश्वप्रसिद्ध नाग नथैया लीला के साक्षी बने.बताते चलें कि यह लीला गोस्वामी तुलसीदास ने इसकी शुरुआत की थी.

परम्परा के मुताबिक, शाम ठीक 4 बजकर 40 मिनट पर भगवान श्रीकृष्ण ने गंगा रूपी युमना में प्रवेश किया और कालियानाग के अहंकार का मर्दन कर उसके सिर पर खड़े होकर बंसी बजाई.इस दौरान जर तरफ घण्टा घड़ियाल और डमरू की आवाज भी सुनाई दी. गोस्वामी तुलसीदास अखाड़े के महंत विश्वम्भर नाथ मिश्र ने बताया कि काशी की यह लीला लक्खा मेले में शुमार है. गोस्वामी तुलसीदास ने इस लीला की शुरुआत की थी तब से ये लीला अनवरत चली आ रही है.

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वाराणसी में होने वाले इस लीला को देखने के लिए दोपहर से ही घाट पर भीड़ जुटने लगी थी. शाम होने के साथ ही तुलसी घाट और आस पास के घाटों के अलावा गंगा की गोद में हजारों भक्त इक्कठा हो गए. इस लीला का दीदार करने आई सौम्या ने बताया कि यह लीला बेहद अद्भुत है और इसे देख मन प्रसन्न हो जाता है. ऐसा लगता है यहां आज भी साक्षात भगवान श्रीकृष्ण कुछ क्षणों के लिए आते है.

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