सुबह-ए-बनारस संस्था का घाट पुरोहित कर रहे हैं विरोध...

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वाराणसी। नए अस्सी घाट पर पिछले कुछ वर्षों में सुबह-ए-बनारस नाम से चल रही संस्था द्वारा दो दिन पूर्व नए धार्मिक प्रयोजन की शुरुआत करते हुए शाम की गंगा आरती भी प्रारंभ करा दी गई है। जिसको लेकर प्राचीन अस्सी घाट पर होने वाली पारंपरिक गंगा आरती समितियों से जुड़े पंडा-पुजारियों में जबरदस्त आक्रोश है। उनका आरोप है कि संस्था बनाकर तीर्थपुरोहितों के कार्यों का बाजारीकरण किया जा रहा है। जिसको लेकर शुक्रवार को अस्सी घाट पर जोरदार प्रदर्शन हुआ।

प्रदर्शन कर रहे तीर्थपुरोहितों का कहना था कि यह संस्था राजनैतिक दलों द्वारा पोषित है, इसे सत्ता के मंत्रियों द्वारा संरक्षण प्राप्त है। उनके शह पर यह उटपटांग कार्य घाटों पर कर रहे है। आरोप लगाया कि सुबह-ए-बनारस संस्था ने नए अस्सी घाट पर आधिपत्य जमा रखा है। जबकि घाट सार्वजनिक है, हर आम आदमी इस घाट का प्रयोग कर सकता है।

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सुबह-ए-बनारस द्वारा शुरु हुई नई आरती का विरोध कर रहे चंद्रशेखर मिश्र ने कहा कि तीर्थपुरोहितों के कार्य को जब संस्था बनाकर कोई भी व्यक्ति बाजारीकरण करने लगेगा तो हम परंपरा को जीवित रखने वाले पंडा-पुजारी, मल्लाह, नाई आखिर कहा जाएंगे? यह परंपरा को खत्म करने की साजिश है। यदि आरती तीर्थपुरोहित करते है तो हम उनका स्वागत करेंगे, लेकिन संस्था का हम पुरजोर विरोध करते रहेंगे। सुबह-ए-संस्था अब तक सुबह की आरती करवाती थी, लेकिन अब नए प्रयोग कर शाम को आरती शुरु करवा रही है। आखिर उसे यह अनुमति कैसे मिली जब 100 मीटर के भीतर पहले से ही दो आरतियां होती है तो। प्रदर्शन कर रहे पुरोहितों का कहना था कि यदि संस्था के लोग नहीं चेते और परंपरा का बाजारीकरण बंद नहीं किये तो बड़ा आंदोलन होगा।