नेहरू के काले कानून से सनातन संस्कृति को आजादी कब मिलेगी, आचार्य नंदकिशोर जी महाराज
मिर्जापुर :जय माँ विंध्यवासिनी ,नारायण ब्रह्मा जी के श्रीमुख से उतपन्न ब्रम्हर्षियो की संतान जिसकी शक्ति ब्रम्हणत्व है।जिसका बल ब्रम्ह ज्ञान एवं बुद्धि है।जो अपने त्याग एवं तप के तेज से प्रकाश पुंज की भांति से समाज को आलोकित करता रहा है।जो सात्विकता ,दिब्यता तथा तेजस्विता की प्रति मूर्ति है। सहस्रो वर्षो से भारतीय संस्कृति ,वैदिक धर्म एवं वांग्मय को अपने रक्त से सिंचित करने वाले ब्राह्मण,ऋषि, मुनि,पुजारी,तीर्थ पुरोहित,धर्माचार्य ,धर्मगुरु समाज के लिए करते आये है।परंतु आज कल संक्रमण काल चल रहा है आज समाज व् देश में ज्ञान,बुद्धि ,प्रतिभा एव धर्म की सर्वत्र उपेक्षा हो रही है।सभी देशवासी संगठित होकर सनातन संस्कृति परम्परा को आजाद देखना चाहती हैं।जिस तरह देश आजाद हुआ है उसी तरह से सनातन व संस्कृति को आजाद कराएं।विचार करे ऐसा क्यों हो रहा है।वह इसलिए हो रहा है जो नेहरू का आर्टिकल 30,30Aआर्टिकल सनातन संस्कृति को जड़मूल से समाप्त करने के लिए लागू कर नुमाइश नामा बना कर रख दिया है।साधना शक्ति श्रद्धा भावना को खत्म कर टूरिस्ट बनाकर रख दिया है।इतना ही नही नेहरू ने HR&CE एक्ट 1951 के द्वारा समस्त सनातन मठ,मन्दिरो को राज्य सरकारें अपने नियंत्रण में लेकर जैसा चाहे संचालन करे ,इन सभी काले कानूनों का पुर जोर विरोध श्री सरदार पटेल जी ने किया था।आज देश के सभी धर्मगुरु,धर्माचार्य मुखर होकर गीता,गंगा,गायत्री,गौ ,गोविन्द के लिए आवाज बुलंद करे।
मिर्जापुर से ब्यूरो चीफ गुड्डू खां की रिपोर्ट