OMG News:किसी चमत्कार से कम नहीं ये मिट्टी की प्रतिमा,258 साल पहले नहीं हिला पाया कोई

वाराणसी : दुनिया में कई ऐसी चींजे होती है.जो हर पल चमत्कार होने का अहसास कराती है.इन चमत्कारों पर विश्वास करना तो मुश्किल होता है लेकिन जब हकीकत सामने हो तो इसपर आपको विश्वास करना ही पड़ता है.वाराणसी के मदनपुरा क्षेत्र में ऐसी ही चमत्कारिक जगह है जिसे, पुराना दुर्गाबाड़ी के नाम से जाना जाता है.
पुराने दुर्गाबाड़ी मंदिर में मां दुर्गा की मिट्टी और पुआल से बनी प्रतिमा को 258 साल पहले सैकड़ो लोग मिलकर भी उठा नहीं सकें.चमत्कार ये भी है कि मिट्टी-पुआल से बनी यह प्रतिमा आज भी बिल्कुल वैसी ही है जैसी 258 साल पहले थी.जिसे देख आज भी लोग चौक जाते हैं.
कोई नहीं हिला सकता प्रतिमा
दरसअल,1767 में मुखर्जी परिवार ने शारदीय नवरात्रि में इस दुर्गा पूजा उत्सव के तहत मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ कलश स्थापना कर नवरात्रि पूजा की शुरुआत की थी.नौ दिनों तक पूरे विधि विधान से पूजा के बाद जब दशहरा के दिन मां के विदाई के लिए मुखर्जी परिवार ने प्रतिमा को विसर्जित करना चाहा तो देवी की प्रतिमा जस से तस नहीं हुई.फिर और लोग भी आए लेकिन देवी की प्रतिमा को सब मिलकर भी हिला नहीं पाए. उसी रात देवी ने मुखर्जी परिवार के मुखिया को स्वप्न में कहा वो उनकी पूजा से प्रसन्न है और वो काशी में ही वास करेंगी.उन्हें हर रोज बस गुड़ चना का भोग मिल जाएं.उसके बाद से ही देवी इस जगह पर विराजमान हैं.
पूरे साल होती है पूजा
मुखर्जी परिवार से जुड़ी रीना ने बताया कि 1767 से अब तक हर दिन हमारे परिवार के लोग श्रद्धाभाव से देवी को जो भी होता है उन्हें भोग स्वरूप अर्पण करते हैं और पूरे साल उनकी पूजा करते है.नवरात्रि के नौ दिनों में यहां कलश स्थापना भी होता है और विशेष पूजन भी किया जाता है.यह देवी का चमत्कार ही है की उनकी यह साधारण सी प्रतिमा आज भी सुतक्षित है.मां दुर्गा के इस शक्तिपीठ पर नवरात्रि में भक्त आते है और मां का आशीर्वाद लेते है.