राष्ट्रीय दलित मानव अधिकार ने रखा अपना पक्ष प्रेस वार्ता
वाराणसी : अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम 1989 और 1955 की की स्टेटस रिपोर्ट लोकार्पण के अवसर पर आज राष्ट्रीय दलित मानव अधिकार संघठन ने प्रेस वार्ता कर कर अनुसूचित जनजाति पर हो रहे अत्याचार और उत्पीड़न के बारे में अपनी बात को मीडिया के सामने रखा है और कहा कि पिछले 10 वर्षों से अधिनियम के प्रावधानों के कार्यान्वयन में सरकार एवं पुलिस का प्रदर्शन न्यायिक नहीं रहा तथा विशेषकर दलित आदिवासियों को जाति आधारित अत्याचार में सुरक्षा प्रदान करने में विफल रही है उल्लेखनीय है कि उक्त अधिनियम का संशोधन विधेयक 2015 में पारित किया जो 2016 में लागू किया गया और 4 साल के बाद इसके प्रावधानों को सही रूप में लागू नहीं किया गया 2009 से 2018 के बीच दिल्ली के विरुद्ध अत्याचार में 27% एवं आदिवासियों के विरुद्ध 3% वृद्धि हुई है उसके लिए चिंता का विषय है उन्होंने सभी जनपदों की स्थापना की गई किया जाए। प्रत्येक वर्ष अत्याचार में वृद्धि का सिलसिला जारी है अभी भी सदस्य दलित आदिवासियों के साथ साथिया एवं नरसंहार सामाजिक एवं आर्थिक बहिष्कार सामूहिक आगजनी बलात्कारी सामूहिक बलात्कार आदि अमानवीय अत्याचारों जैसे मामले और वह सो रहे हैं आने को मामलों में मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता है जिसको लेकर आज राष्ट्रीय दलित मानव अधिकार संगठन में सरकार के खिलाफ निंदा करते हुए कहा कि उसके किसी गंभीरता से लेते हुए सरकार बड़ा फैसला ले
रिपोर्ट तौफीक खान