वाराणसी के इरशाद की अनोखी भक्ति,गंगा की माटी से लिखी कपड़े पर लिखी हनुमान चालीसा

वाराणसी के इरशाद की अनोखी भक्ति,गंगा की माटी से लिखी कपड़े पर लिखी हनुमान चालीसा

वाराणसी l गोस्वामी तुलसी दास द्वारा रचित रामचरित मानस को लेकर इन दिनों देश में हंगामा मचा है. रामचरित मानस पर मचे हंगामे के बीच यूपी के वाराणसी में एक मुस्लिम शख्स की हनुमान भक्ति इन दिनों शहर में चर्चा का विषय बनी हैं. हाजी इरशाद अली बनारसी ने कपड़े पर गंगा की माटी से हनुमान चालीसा की चौपाइयों को उकेरा है. इरशाद इस हनुमान चालीसा को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपना चाहतें हैं.

इरशाद अली ने बताया कि कॉटन के 2 मीटर कपड़े पर उन्होंने हनुमान चालीसा को लिखा है. इसमें उन्हें करीब 4 दिनों का वक्त लगा है.इरशाद ने हनुमान चालीसा को लिखने से पहले उसे पढ़ा और समझा भी है. उसके बाद उन्होंने इसकी चौपाइयों को कपड़े पर उकेरा है. इस कपड़े के चारों तरह ऑरेंज रंग के बनारसी साड़ी की कोटिंग है जिसमें कमल का फूल बना हुआ है.

बाढ़ के समय लाते थे मिट्टी

इरशाद ने बाढ़ के वक्त गंगा की माटी को घर लाया और फिर उसे छान कर उसे सुखाया और बाद में गंगा जल और हैंड मेड गोंद को मिलाकर उन्होंने इस हनुमान चालीसा को लिखा है. कपड़े पर हनुमान चालीसा लिखने से पहले वो रामभक्त हनुमान को याद भी करतें हैं.

30 मीटर कपड़े पर लिखा गीता,हनुमान सहस्त्रनाम और हनुमान चालीसा

इरशाद ने सिर्फ हनुमान चालीसा ही नहीं बल्कि हनुमान सहस्त्रनाम स्रोत और सम्पूर्ण गीता का श्लोक भी कपड़े पर उकेरा है. 30 मीटर कपड़े पर श्रीमद्भागवत गीता,हनुमान सहस्त्रनाम और हनुमान चालीसा लिखी गई है.इस पूरे काम में उन्हें डेढ़ साल का वक्त लगा है.

बच्चों ने किया प्रेरित

इरशाद ने बताया कि उनके बच्चों ने उन्हें इसके लिए प्रेरित किया है और उन्ही के कहने पर उन्होंने कपड़े पर यम धार्मिक पुस्तकों को लिखकर न सिर्फ एक रिकॉर्ड कायम किया बल्कि गंगा जमुनी तहजीब के मिशाल भी बन गए.