नंद घर में हो रहा बच्चों का बेहतर पालन पोषण
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जनपद में 100 से ज्यादा नन्द घरों में 4000 से ज्यादा बच्चों को मिल रहा लाभ
पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा के लिए मिला स्वच्छ और सुंदर वातावरण
वाराणसी : कहते हैं कि बच्चे को जन्म देने वाले से ज्यादा उसका पालन पोषण करने वाले को ज्यादा प्रेम और लगाव हो जाता है’। कुछ इसी तरह का सजीव चित्रण नीति आयोग के आदर्श ब्लॉक सेवापुरी के मटुका ग्राम में बने ‘नन्द घर’ में देखने को मिला । इस दौरान नन्द घर में तीन से छः वर्ष तक के बच्चों को प्री-स्कूलिंग शिक्षा के तहत उन्हें चित्रों, एलईडी टीवी के माध्यम से आडिओ-वीजुअल, खेल-कूद आदि गतिविधियों के माध्यम से हिन्दी, अंग्रेजी में वर्णमाला, कहानी, कविताएं, गीत, गिनती, जोड़-घटाव, गुणा-भाग आदि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा सिखाया जा रहा था । यहाँ कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता राजकुमारी देवी बताती हैं कि जब से इस क्षेत्र में नन्द घर का निर्माण हुआ है तब से यहाँ पर बच्चों की संख्या बढ़ी है और बच्चों के अभिभावकों का भी व्यवहार परिवर्तन हुआ है । यहाँ पर चारों ओर दीवार पर पक्षियों, जानवरों आदि के चित्र बने हुये हैं। दीवार के सबसे नीचे ब्लैक बोर्ड बनाए गए हैं जिससे बच्चे अपने मन की चित्रकारी और पढ़ना लिखना सीख सकें। उन्होने बताया कि वर्तमान में यहाँ 36 बच्चों का दाखिला हुआ है । क्षेत्र में एक भी बच्चा कुपोषित नहीं है। सभी के स्वास्थ्य, पोषण व शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है ।
सेवापुरी बाल विकास परियोजना की बाल विकास परियोजना अधिकारी सुषमा सिंह ने बताया कि नन्द घर में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की है, जो यशोदा माँ की अवधारणा को ध्यान में रखकर तय की गयी है । प्रत्येक नन्द घर में बनी एक किचन के जरिये बच्चों को मध्यान्ह भोजन भी खिलाया जाता है । यह भोजन जल्द से पकने वाला होता है जिसके लिए हर किचन में एक कैटल उपलब्ध कराया गया है। इसके साथ ही समय-समय पर बच्चों के स्वास्थ्य, वजन, लंबाई आदि की जांच भी की जाती है । कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों की पहचान होने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है । कुछ इसी तरह का वातावरण जनपद के अन्य नन्द घरों में भी देखने को मिल रहा है । बच्चों के माता-पिता भी इस स्वच्छ और सुंदर वातावरण से बहुत खुश रहते हैं और वह रोज अपने बच्चों को छोड़ने और लेने आते हैं । हालांकि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुये बच्चों की संख्या कम है लेकिन बच्चों पर पूरी सतर्कता के साथ ध्यान दिया जा रहा है । उन्होने बताया कि कुछ दिनों पहले मा0 राज्यपाल ने भी नन्द घर का जायजा लिया था जिसमें उन्होने बेहद प्रसन्नता जाहिर की थी ।
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क्या है नन्द घर वेदांता फाउंडेशन के स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर किशन नाथ ने बताया कि प्रधानमंत्री के विज़न एवं महिला एवं बाल विकास कल्याण विभाग के समर्थन से अनिल अग्रवाल ‘वेदांता फ़ाउंडेशन’ ने वर्ष 2015 में ‘नन्द घर’ परियोजना की शुरुआत की थी । वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश सहित 7 राज्यों में नंद घर की यात्रा शुरू हुई । वर्तमान में इन सातों राज्यों में लगभग 1700 से अधिक नन्द घर स्थापित किए जा चुके हैं । बात करें उत्तर प्रदेश की, तो वेदांता फ़ाउंडेशन और बिल एंड मिलान्डा गेट्स फ़ाउंडेशन (बीएमजीएफ़) के संयुक्त सहयोग से इसकी शुरुआत की गयी । बीएमजीएफ़ हमें निर्माण और पोषण के क्षेत्र में सहयोग का रहा है । प्रथम चरण में वाराणसी सहित चार जिलों अमेठी, पीलीभीत और हापुड़ को नन्द घर परियोजना के लिए चुना गया है । इन चार जिलों में कुल 241 नन्द घर संचालित किए जा रहे हैं। मार्च 2021 तक कुल 470 नन्द घर विकसित करने का लक्ष्य है । उन्होने कहा कि वाराणसी जनपद के सात ब्लॉकों में कुल 114 नन्द घर संचालित किए जा रहे हैं मार्च 2021 तक जनपद में 200 नन्द घर तैयार किया जाने का लक्ष्य है । वर्तमान में जनपद के नन्द घरों में लगभग 4000 से ज्यादा बच्चे पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा का लाभ मिल रहा है । जनपद में 33 नन्द घर ग्रीन फील्ड यानि निर्मित किए गए एवं 81 आंगनबाड़ी केन्द्रों को नन्द घर का नया रूप दिया गया । उन्होने बताया कि नन्द घर के माध्यम से बच्चों के चिकित्सा, स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण के साथ-साथ महिलाओं के कौशल विकास पर भी ज़ोर दिया जा रहा है। तीन मोबाइल मेडिकल यूनिट एंबुलेंस तैनात की गईं है जिसमें एक एंबुलेंस पूरे सेवापुरी में समय-समय पर शिविर लगाकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की सेवा प्रदान कर रही है ।