काशी की इस देवी को फूल माला नही बल्कि चढ़ता है ताला-चाभी
वाराणसी / भोले की नगरी काशी को मंदिरो का शहर कहा है.मंदिरों के इस शहर में कई ऐसे चमत्कारिक मंदिर है जिनका धार्मिक महत्व जानने के बाद लोगो के प्रति उनकी आस्था बढ़ जाती है.ऐसा ही एक देवी का मंदिर वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर है,जहां देवी को माला फूल नहीं बल्कि ताला चाभी चढ़ाया जाता है.मंदिरों में इन तालों के चढ़ाने का क्या है रहस्य जानिए हमारे इस खास रिपोर्ट में..
वाराणसी के विश्वप्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर बंदी देवी का प्राचीन मंदिर है. बंदी देवी को पाताल लोक की देवी कहा जाता है. पूरे विश्व में देवी का इकलौता मंदिर काशी में स्थापित है. मान्यता है यहां ताला लगाने से बन्द किस्मत के ताले खुल जाते हैं. यही नहीं कोर्ट कचहरी और मुकदमों के झंझट से भी देवी मुक्ति दिलाती है. यही वजह है देशभर से भक्त यहां आते है और देवी को ताला चाभी चढ़ाते हैं.
भगवान को अहिरावण के कैद से दिलाई थी मुक्ति
मंदिर के पुजारी दिनेश शंकर दुबे ने बताया कि 41 मंगलवार लगातार देवी के दर्शन से भक्तों की मनचाही मुरादें पूरी होती हैं. त्रेता युग में देवी ने भगवान श्री राम को अहिरावण के कैद से मुक्ति दिलाई थी और कलयुग में कोर्ट कचहरी के बाधा में फंसे लोगों का संकट दूर कर रही हैं.
मनोकामना पूरी होने के बाद खोल देते है ताला
दिनेश शंकर दुबे ने बताया कि मनोकामना पूर्ति के बाद भक्त यहां लगे ताले को खोलते और फिर अपने श्रद्धा के मुताबित देवी का श्रृंगार और विशेष पूजन कराते है. इसके अलावा साल में दो बार देवी का विशेष श्रृंगार किया जाता है