Pitra Paksha 2025:काशी के इस रहस्यमयी कुंड का है भूतों से नाता,इस काम से मिल जाती है मुक्ति

Pitra Paksha 2025:काशी के इस रहस्यमयी कुंड का है भूतों से नाता,इस काम से मिल जाती है मुक्ति

वाराणसी: पितरों के पूजन और तर्पण का महापर्व पितृपक्ष शुरू हो गया है.पितृपक्ष के इन 15 दिनों में पितरों के निमित श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है.पिंडदान और श्राद्घ के लिए काशी,प्रयाग और गया प्रधान तीर्थ मानें जातें है.इन तीर्थों में काशी का अपना अलग ही महत्व है. काशी में एक ऐसी चमत्कारिक जगह है जहां प्रेत योनि से भी पितरों के मुक्ति का रास्ता खुल जाता है.

काशी में बाबा विश्वनाथ के दरबार से करीब 3 किलोमीटर दूर पिशाच मोचन तीर्थ है.इस तीर्थ पर का कनेक्शन भगवान शिव से है.धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक,इस तीर्थ स्थल पर महादेव का वरदान है कि जो भी व्यक्ति अपने पितरों का श्राद्घ-तर्पण इस कुंड के जल से करता है ओर यहां स्नान करता है उसे उनके पितरों के मुक्ति का राह प्रसस्थ हो जाता है.

होता है ये खास अनुष्ठान

पूरे दुनिया में काशी का पिशाच मोचन तीर्थ ही एक ऐसा स्थान है जहां खास अनुष्ठान से प्रेत योनि में प्रवेश किए आत्माओं को भी मुक्ति मिल जाती है.खासकर उन मृतक आत्माओं को जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो.पिशाच मोचन तीर्थ के महंत नीरज पांडेय ने बताया कि काशी का एकमात्र यह ऐसा तीर्थ है जहां भटकती आत्माओं के मुक्ति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है.इस अनुष्ठान में तीन अलग-अलग कलश पर भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शंकर की पूरे विधान से पूजा की जाती है, जिससे उन भटकती आत्माओं के बैकुंठ जाने का मार्ग खुल जाता है.

भूत-प्रेत के साए से मिलती है मुक्ति

इसके अलावा जिन लोगो पर भूत-प्रेत का साया होता है.वो भी यदि इस कुंड में स्नान करते है तो उनकी प्रेत बाधा भी समाप्त हो जाती है.पितृपक्ष के 15 दिनों में इस तीर्थ पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है.देश के कोने कोने से श्रद्धालु यहां आते हैं. हर दिन 30 से 40 हजार लोग यहां श्राद्ध और पिंडदान करते है.पूरे 15 दिनों में करीब 10 लाख लोग हर साल इस तीर्थ पर आतें है.