आइए जानें हरितालिका तीज व्रत का मुहूर्त, विधि एवं महत्व:ज्योतिष सम्राट पंडित पुरुषोत्तम दुबे - नेपाल
नेपाल l हरतालिका तीज भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है, इस साल यह 30 अगस्त को किया जाएगा। इस तीज का सुहागिन महिलाओं मे बड़ा ही महत्व है। ऐसी मान्यता है कि, देवी पार्वती ने इस व्रत की शुरुआत की थी।
हरतालिका व्रत को सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है। वहीं, कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती है। इस व्रत में व्रती महिलाएं अन्न जल तक ग्रहण नहीं करती हैं। कहते हैं इस कठिन व्रत से देवी पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त किया था। इसलिए इस व्रत में शिव पर्वती की पूजा का अपना विशेष महत्व है।
हरतालिका तीज का महत्व
इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और कुंवारी कन्याएं इस व्रत को मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए रखती है। मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का पुनर्मिलन हुआ था। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए बहुत तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
जानें पूजा विधि
हरतालिका तीज व्रत की पूजा सूर्यास्त के बाद करना शुभ माना जाता है। पूजा के लिए भगवान शिव माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा काली मिट्टी, बालू या रेत से बनाकर की जाती है। पूजा से पहले स्थान को अच्छे से साफ सफाई करके उसे फूलों से सजा लें इसके बाद वहां एक चौकी रखें। इसके बाद इसके ऊपर केले के पत्ते रखें र भगवान शिव माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा को इसपर स्थापित कर दें। इसके बाद तीनों की पूजा अर्चना करें और माता पार्वती के समझ सुहाग की सारी वस्तुएं चढ़ाएं और भगवान शिव को धोती और अंगोछा अर्पित करें। सबसे आखिर में इन चीजों को किसी गरीब ब्राह्मण को दान कर दें। अगले दिन माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं, और उन्हें मीठे का भोग लगाकर अपना व्रत खोल लें।
हरतालिका तीज व्रत के नियम
व्रत रखने वाली महिलाओं को इस बात का खास ख्याल रखना है कि इस दिन सोलह श्रृंगार करना न भूलें, नए कपड़े पहने और अच्छे से सज धज कर व्रत रखें।
अगर आप इस व्रत को रख रहीं हैं तो इसे आप कुछ साल करके छोड़ नहीं सकती। इसलिए सोच समझकर ही इस व्रत को रखना चाहिए। बीमारी आदि के कारण यदि आप व्रत न रख पाएं तो आपकी जगह आपके पति भी इस व्रत को कर सकते हैं।
इस दिन रात में जागकर शिव पार्वती की पूजा आराधना करनी चाहिए। दरअसल, इस व्रत में आठो प्रहर की पूजा करना शुभ माना जाता है। हरतालिका तीज का पूजा मुहूर्त - दिन भर रात भर है ।
30 तारीख को विशेष पुजा हेतु हरतालिका तीज की सुबह की पूजा पूजा 30 अगस्त को 9 बजकर 33 मिनट से 11 बजकर 05 मिनट तक की जा सकती है। शाम की पूजा के लिए 3 बजकर 49 मिनट से लेकर 7 बजकर 23 मिनट तक का समय उत्तम रहेगा। इसके अलावा आप चाहें तो प्रदोष काल में 6 बजकर 34 मिनट से 8 बजकर 50 मिनट पर भी पूजा कर सकते हैं।