मंदिर की जमीन पर तबेला, रेस्टोरेंट और दुकानों द्वारा किया गया है अतिक्रमण...
वाराणसी l जहां मन वहां के तर्ज पर शहर में अवैध अतिक्रमण जारी है यहां तक कि मंदिर तक अवैध अतिक्रमण के चपेट में हैं। किसी गली -कूचे में नहीं शहर के हृदय स्थल कहे जाने वाले गोदौलिया से बामुश्किल चंद कदम दूर शिल्प और स्थापत्य कला में बेजोड़ सैकड़ों साल पुराने गौतमेश्वर महादेव मंदिर अतिक्रमणकारियों का अड्डा बनकर रह गया है। मंदिर के मुख्य द्वार से लेकर मंदिर परिसर तक अवैध अतिक्रमण मंदिर की छवि को धूमिल कर रहे हैं। मंदिर के मुख्य द्वार को ही व्यावसायिक होर्डिंग लगाकर पाट दिया गया है। मंदिर के मुख्य द्वार पर ही कचौड़ी की दुकान चल रही है। तो अंदर बकायदे तबेला। गाय बांधने के साथ ही उपले भी पाथे जा रहे है। रही-सही कसर अवैध तरीके से वाहनों का स्टैंड बनाकर पूरा किया जा रहा है। गोदौलिया चौराहे से चंद कदम दूर बांस फाटक होते हुए विश्वनाथ मंदिर जाने वाले मार्ग पर काशी राज काली मंदिर परिसर में गौतमेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है तकरीबन दो डेढ़ बीघे में फैले मंदिर परिसर में मंदिर में तबेला चला रहे है गाय बांध कर गोबर फैला रहे है।
जिससे परिसर में गंदगी फैली रहती है। मौके पर चौका लगाते हुए यहां अवैध तरीके से दो पहिया वाहनों को खड़ा भी किया जा रहा है। जबकि परिसर में किसी भी तरह के पशुपालन या गाड़ियों को खड़ा करने की सख्त मनाही है इसके लिए सूचना भी लगाई गई है। मंदिर में में आने वाले दर्शनार्थी और पर्यटकों को यहां दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। प्रदेश सरकार ने अवैध अतिक्रमण और कब्जे को लेकर कड़े कदम उठाए जाने के निर्देश जारी किया है इसी सड़क से होकर सरकार के मंत्री से लेकर जिला प्रशासन के न जाने कितने आला अफसर दिनभर गुजरते हैं। लेकिन किसी की भी नजर इस अतिक्रमण पर नहीं पड़ती। बाबा विश्वनाथ मंदिर कारिडोर बनने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आवागमन बढ़ा है ऐसे में अगर इस मंदिर को अतिक्रमणकारियों के चंगुल से मुक्त करवाकर इस ओर ध्यान दिया जाए तो शिल्प कला में बेजोड़ इस मंदिर का न सिर्फ महत्व बढ़ेगा बल्कि ये धरोहर भी संरक्षित और सुरक्षित बचा रहेगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि सैकड़ों साल पुराना गौतमेश्वर मंदिर हेरीटेज बनारस का हिस्सा है। और श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र भी। इस धरोहर को संजोये जाने की जरूरत है ,लेकिन अगर मंदिर को अवैध अतिक्रमण से मुक्त नहीं किया गया तो मंदिर का अस्तित्व ही खत्म होकर रह जाएगा।