नाटी इमली का भरत मिलाप में उमड़ा भक्तों का जन सैलाब , भगवान श्रीराम और भरत मिलाप देख लोग हुए भावुक

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वाराणसी । धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में नवरात्र और दशहरा के बाद रावण दहन के ठीक दुसरे दिन भरत मिलाप का उत्सव भी काफी धूम धाम से मनाया जाता है । 

चित्रकूट रामलीला समिति द्वारा नाटी इमली में आयोजित एतिहासिक भरत मिलाप को देखने के लिए लाखो के भीड़ उपस्थित रहती है । लगभग पांच सौ वर्ष पहले संत तुलसीदास जी के शरीर त्यागने के बाद उनके समकालीन संत मेधा भगत काफी विचलित हो उठे मान्यता है की उन्हें स्वप्न में तुलसीदास जी के दर्शन हुए और उसके बाद उन्ही के प्रेरणा से उन्होंने इस रामलीला की शुरुआत की असत्य पर सत्यकी जीत का पर्व होता है।

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दशहरा और इस पर्व के दुसरे दिन एकादशी के दिन काशी के नाटी इमली के मैदान में होता है भरत मिलाप लंका में रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद मर्यादा पुरोसोतम राम जब वापस लौटते है तो होता है भरत मिलाप मान्यताये ऐसी है की 478 वर्ष पुरानी काशी की इस लीला में भगवान राम के लीलाओं को दर्शाता है। 

इस भरत मिलाप लीला में जैसे ही घड़ी की सुई 4:40 पर पहुंचती है तभी भगवान राम और भरत मिलाप का वह शुभ घड़ी आ जाता है उस समय पूरा माहौल 5 मिनट के लिए थम सा जाता है। एक तरफ भरत और शत्रुघ्न अपने भाईयों के स्वागत के लिए जमीन पर लेट जाते है तो दूसरी तरफ राम और लक्ष्मण वनवास ख़त्म करके उनकी और दौड़ पड़ते हैं। चारो भाईयों के मिलन के बाद जय जयकार शुरू हो जाती है ।

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चित्रकूट रामलीला समिति के मंत्री मोहनलाल अग्रवाल ने कहा कि 478 वर्षीय लीला चलती चली आ रही १६वीं शताब्दी से इस भरत का आयोजन हम लोगों द्वारा किया जा रहा है । पिछले बार कोरोना महामारी के चलते इतने भव्य रुप से नहीं हो पाया था पर इस बार भरत मिलाप का आयोजन हो रहा । इस बार प्रशासन ने हमें आदेश दिया है और यह लीला भव्य रुप से मनाया जा रहा है । जिसमें काशी के लोग भगवान के इस दिव्य लीला को देखने के लिए एकत्र हुए हैं ।

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