भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस हमलावर, जनांदोलन की चेतावनी...

भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस हमलावर, जनांदोलन की चेतावनी...

वाराणसी / वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय राय और उ.प्र. कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष विजय शंकर पांडेय और पूर्व महामंत्री सतीश चौबे ने पराड़कर भवन में आयोजित प्रेसवार्ता में कहा है कि यूपी के मुख्यमंत्री ने पद की शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए शासन के निर्देश से जिस तरह बीते बुधवार को रात दो बजे पूर्व विधायक  राजेशपति त्रिपाठी और ललितेशपति त्रिपाठी सहित 41 लोगों पर मिर्जापुर के मड़िहान थाने में अपराधिक एफआईआर दर्ज करवाया, वह पूर्णत: असत्य, आधारहीन, तथ्यहीन व कल्पित कहानी पर शुद्ध राजनीतिक दुर्भावना की कार्रवाई है। 

भाजपा सरकार ने राजनीतिक मंसूबे के लिये दबाव व भयादोहन द्वारा एक ऐसे प्रतिष्ठित परिवार को बदनाम एवं प्रताड़ित करने की कोशिश की है, जिसकी आजादी की लड़ाई उसके बाद चार पीढ़ी की बेदाग लोकतांत्रिक राजनीति एवं जनसेवा तथा सनातन पाण्डित्य की परंपरा से जुड़ी रही पारिवारिक साख की साफ सुथरी प्रतिष्ठा का लंबा इतिहास रहा है।


कांग्रेस नेताओं ने कहा कि प्रतिष्ठित त्रिपाठी परिवार ने एक इंच भी जमीन पर न तो विधि विरुद्ध कोई कब्जा किया है और ना कोई विधि विरुद्ध काम। भूमि गोपालपुर सहकारी समिति लिमिटेड की है जिसे वर्ष 1951 में तत्कालीन जमींदार अमरेशचंद्र और नरेशचंद्र ने पंजीकृत इस्तमरारी पट्टे के माध्यम से समिति सदस्यों को बेचा, जिसे उसी वर्ष गोपालपुर संयुक्त सहकारी कृषि समिति लिमिटेड नाम की सोसायटी में समाहित किया गया था। वह समिति एवं भूमि आज तक पूर्ण विधिसम्मति ढंग से यथावत है, जिसका लगान हर वर्ष समिति सरकार को देती है।

सहकारिता की स्थापित विधियों के 'अनुरूप समिति का चुनाव हमेशा सरकारी पर्यवेक्षक के सामने होता है और सरकारी सहकारी विधान के मानकों पर काम करती रही है।


कांग्रेस नेताओं ने बताया कि शासन का तेवर दो वर्ष पूर्व सोनभद्र में ऊंभा कांड, उसे लेकर कांग्रेस के आन्दोलन एवं उसमें ललितेशपति त्रिपाठी की सक्रिय भूमिका से योगी सरकार की नाराजगी के बाद बदला। कहा गया कि आन्दोलन छोड़ राजनीतिक पाला बदलो नहीं भुगतो। रेणुका चौधरी की एक जांच समिति सहकारी कृषि फार्म पर गठित हुई। उसे सभी न्यायिक निर्णयों तथा विधिसम्मत कामकाज के हर रिकार्ड दिखाये गये और उनकी सारी आशंकाओं का विधि सम्मत समाधान किया गया। फिर भी जांच समिति ने राजनीतिक दबाव में समिति के विरुद्ध आधारहीन आरोप लगाये। उसकी रिपोर्ट को दी गई चुनौती हाई कोर्ट विचाराधीन है। वहां न्यायिक निर्देश से पूर्व कोई कार्रवाई नहीं किये जाने का आश्वासन था। कोविड में न्यायिक प्रक्रियायें भी अवरोधित रही हैं और इस बीच आम चुनाव निकट आता देख अचानक दो साल के बाद उसी रेणुका चौधरी कमेटी को आधार बना कर राजनीतिक द्वेष-भाव से माननीय मुख्यमंत्री के दबाव पर सक्रिय प्रशासन ने प्राथमिकी करा दी। मुख्यमंत्री ने आधिकारिक ट्यूटर हैंडल पर सोसायटी के सदस्यों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का मैसेज करके राजनीति प्रेरित मंसूबे एवं नीयत का परिचय दे दिया है।