सनातन संस्कृति से खिलवाड़ करना प्रलय को चुनौती देने के बराबर होगा - आचार्य नंदकिशोर जी महाराज

सनातन संस्कृति से खिलवाड़ करना प्रलय को चुनौती देने के बराबर होगा - आचार्य नंदकिशोर जी महाराज

मिर्ज़ापुर : एक विचारणीय प्रश्न विश्व हिंदुत्व के सामने आज रख रहे हैं।जो सनातन संस्कृति सदियो से यह प्रार्थना अपने मठ, मन्दिरो से करते चले आ रहे हैं।वह आज भी उसी परम्परा का निर्वाह कर विश्व में सुख शांति का संदेश दिया करते हैं। कि, ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।सर्वे सन्तु निरामयाः।सर्वे भद्राणि पश्यन्तु ।मा कश्चित दुःख भाग्भवेत लेकिन उसी परम्परा को नेहरू सरकार ने आर्टिकल 30,30A और मन्दिरो को सरकारी नियन्त्रण में करने के लिए हिन्दू रिलिजेज इंडोमेन्ट एक्ट 1951 को लागू कर भी नष्ट हो गए। सिर्फ वोट बैंक के लिए और अन्य समुदाय के लोगों को सहायता अनुदान का प्रावधान रखा ,आज सनातन संस्कृति कराह रही है। क्योंकि सनातन मन्दिरो को सरकारे हुजूर अपने कब्जे में लेकर मन्दिरो के धन का दुरुपयोग कर रहे हैं।जिससे पूरा विस्व विनाश के शाये में है।हमारे देश के जज ,वकील,अधिकारी ,नेताओ का ध्यान इस तरफ क्यों नहीं पड़ता। और इस तरह के विनाशकारी काला कानून को कब खत्म कर सनातन संस्कृति को आजादी दिलाने का काम करेंगे यह तो देखने वाली बात होगी। अगर यह काला कानून खत्म नही किया गया तो यह देश सनातन संस्कृति के पीड़ा ,वेदना से बहुत बड़ी समस्या से जूझते हुए नष्ट होने की तरफ दिन पर दिन अग्रसर होता जा रहा है।एक तरफ सब का साथ ,सब का विकाश का नारा और एक तरफ सनातन का सब कुछ लूटो,और जमकर कुटो, ये निर्दयता बन्द हो नही सब कुछ मिट जाएगा तब न रहेगा बाश न बजेगी वाशुरी।यह निवेदन देश के माननीय प्रधानमंत्री से व उत्तर प्रदेश के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री जी से बारंबार करते हैं।सनातन धर्म के साथ ही संस्कृत की रक्षा करने के लिए ऐसे काले कानून एक्ट से आजादी दिलाएं।संपूर्ण देशवासी अभार व्यक्त करेंगे।

 रिपोर्ट गुड्डू खां